◆ दलितों और युवाओं पर कांग्रेस का ज्यादा फोकस, भाजपा भी पीछे नहीं
◆ बिछने लगी उपचुनाव की बिसात
◆ सूबे के 26 सीटों पर होने हैं उपचुनाव
युवा काफिला,भोपाल-
बहुजन समाज पार्टी अपनी-अपनी गोटियां बिठाने के लिए अब पूरी तरह से सक्रिय होती जा रही हैं। अन्य मुद्दों के साथ कांग्रेस का फोकस खासकर युवाओं और दलितों पर आ गया है। ग्वालियर-चम्बल संभाग जहां 16 विधानसभा उपचुनाव होने हैं उनमें से अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में दलित मतदाताओं की निर्णायक भूमिका को देखते हुए कांग्रेस इन पर विशेष फोकस कर रही है। युवा मतदाता और युवा मानस चुनावों में अक्सर महत्वपूर्व भूमिका अदा करता है इसीलिए कांग्रेस का इन पर फोकस है। दलितों के महत्व को देखते हुए बहुजन समाज पार्टी भी चुनावों में ताल ठोंकती नजर आ रही है, वहीं भाजपा भी पीछे नहीं है और वह दलितों को अपने साथ जोड़ने की पुरजोर कोशिश कर रही है।
भाजपा यह मानकर चल रही है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने के बाद युवा मतदाता उससे और तेजी से जुड़ेंगे, जिन्होंने पिछले चुनाव में कांग्रेस का साथ दिया था। भाजयुमो ने हर मतदान केन्द्र तक अपनी पैठ मजबूत करते हुए विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में अभी से सुनिश्चित जिम्मेदारियां बांटते हुए अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर दिया है।
कांग्रेस के प्रदेश के इकलौते लोकसभा सदस्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ अब अपनी सक्रियता युवाओं को एकजुट करने व उनको साधने में लगायेंगे। कमलनाथ सरकार बनाने में युवाओं की एक बड़ी भूमिका थी और इसे समझते हुए ही उन्हें सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गयी थीं। इन सबको तो उपचुनाव में सक्रिय किया ही जायेगा लेकिन और नये युवाओं को जोड़ने के लिए नकुल नाथ मैदान में नजर आयेंगें। उन्होंने कहा है कि उपचुनाव में युवा निर्णायक भूमिका में होंगे और मैं युवाओं को साधने की जिम्मेदारी निभाऊंगा। बकौल नकुल नाथ विधायकों की खरीद-फरोख्त की गयी है इसलिए आने वाले उपचुनावों में जनता भाजपा को मुंहतोड़ जवाब देगी। मेरा मानना है कि चुनाव आयोग को जल्द से जल्द तारीखों का ऐलान कर देना चाहिये। मैं युवाओं को आगे बढ़ाना चाहता हूं और यह मेरी जिम्मेदारी भी है। प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के कार्यालय में जो पालिटिकल ड्रामा आज हुआ उसका पूरा-पूरा फायदा उपचुनाव में लेने के लिए कांग्रेस कोशिश करेगी। गुना जिले में अतिक्रमण हटाने गए पुलिस दल द्वारा दलित दम्पत्ति के साथ की गयी कथित मारपीट के मामले को कांग्रेस ने पूरी ताकत से उठाना चालू कर दिया है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा ने डेमेज कंट्रोल की कोशिश की है।
प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि कांग्रेस झूठे आरोप लगाकर सिर्फ चुनावी फायदे के बारे में सोच रही है जबकि पूरा प्रदेश जानता है कि भाजपा हमेशा दलितों के साथ रही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि प्रदेश में किसी वर्ग के साथ अन्याय नहीं होने दिया जायेगा। अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष आनंद अहिरवार गुना में हुई घटना का प्रत्यक्ष विवरण लेकर राजधानी लौटे तो उन्हें अध्यक्ष के कमरे से बाहर कर ताला जड़ दिया गया और आयोग के सचिव व अन्य पदाधिकारियों ने उन्हें अध्यक्ष मानने से इन्कार कर दिया। कुछ देर के लिए वहां गहमागहमी का माहौल भी रहा। आनंद अहिरवार ने दूरभाष पर बताया कि वे कानूनी सलाह ले रहे हैं तथा इस प्रकार की कार्रवाई उच्च न्यायालय की सीधी-सीधी अवहेलना और अवमानना के समान है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह अनुसूचित जाति के साथ सम्मान का व्यवहार नहीं करती और जब इस वर्ग के लोगों पर अत्याचार हुआ तो उनकी सुनवाई करने आयोग के अध्यक्ष के नाते मैं गुना गया था तथा आयोग के माध्यम से वह रिपोर्ट शासन को भेजने वाला था। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह तंत्र का मनमाना दुरुपयोग कर रही है।
उपचुनावों के चलते प्रदेश में दलित राजनीति इसलिए तेज हुई है कि गुना में दलित किसान परिवार की पुलिस द्वारा पिटाई को लेकर कांग्रेस तो हमलावर थी ही बसपा भी अब मैदान में उतर आई है। इस घटना को लेकर दोनों दल तीखे तेवर अपना रहे हैं। प्रदेश में करीब 18 फीसदी दलित आबादी है जो राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित भी कर सकती है। ग्वालियर-चम्बल अंचल की राजनीति में दलित मुद्दा अपने आपमें काफी मायने रखता है और आरक्षण के मुद्दे पर इसी इलाके में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अच्छी-खासी सफलता मिली थी। इससे उत्पन्न हुई तत्कालीन परिस्थितियों पर सवार होकर ही सिंधिया समर्थक चुनाव में विजयी हुए थे और वे अब फिर से पार्टी बदलकर भाजपा के चुनाव चिन्ह पर अपनी किस्मत आजमायेंगे। कांग्रेस की कोशिश यही है कि उससे जो दलित वर्ग जुड़ गया है वह उसके ही पाले में रहे। आनंद अहिरवार के साथ आज अनुसूचित जाति आयोग के कार्यालय में जिस प्रकार का व्यवहार हुआ उसने कांग्रेस को बैठे-ठाले एक और मुद्दा दे दिया। बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस और भाजपा दोनों पर एक साथ निशाना साधते हुए कहा कि दोनों पार्टियों की सोच व तौर-तरीके एक जैसे हैं।
बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल ने कहा है कि दलितों पर अत्याचार सरकार की मानसिकता को उजागर करता है और उपचुनावों में जनता इसका जवाब देगी। उसकी कोशिश अपने बिखरे मतदाताओं को फिर से सहेजने की है तो कांग्रेस की कोशिश उन्हें अपने साथ थामे रखने की है और इसमें वह दलित नेता फूल सिंह बरैया का भी पूरा-पूरा उपयोग कर रही है।
और अन्त में-----!
कांग्रेस और विपक्षी दल चाहें चुनाव हारें या जीतें उनका इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों पर विश्वास नहीं है। जीतते हैं तो कहते हैं कि मशीने नहीं होती तो और अच्छे से जीतते और यदि हार जाते हैं तो मशीनों पर ही दोषारोपण करते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान कोरोना संक्रमण रोकने के लिए मतदान इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन की जगह मतपत्र से कराया जाए। कमलनाथ ने भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर भरोसा दिलाया है कि इसके संबंध में चुनाव आयोग के जो भी सुझाव व दिशानिर्देश जारी होंगे उसका कांग्रेस पूरी तरह से पालन करेगी।
यदि मतदान ईवीएम मशीनों द्वारा कराया जायेगा तो हाथ की उंगली से बटन दबाकर मतदाता मतदान करेंगे, ऐसी स्थिति में अन्य मतदाताओं के कोरोना संक्रमित होने से इन्कार नहीं किया जा सकता।
लेखक- अरुण पटेल
लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं।
संपर्क- 09425010804, 07389938090
यह आलेख दैनिक समाचार पत्र सुबह सवेरे के 23 जुलाई 2020 के अंक में प्रकाशित हुआ है।