इतिहास/ त्रिभंग मुद्रा' की महारानी सालभंजिका - अदा मिसेज इंडिया क्लासिक दीपा मेश्राम

भोपाल-  


सब्बमित्ता महिला ग्रुप द्वारा राजधानी के दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि सभागृह में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में भव्य समारोह का आयोजन किया गया। मध्यप्रदेश का गौरव अदा मिसेज इंडिया क्लासिक दीपा मेश्राम ने सम्मान में प्राप्त साल भंजिका के महत्व को समझाते हुए कहा कि- सालभंजिका एक ऐसी स्त्री की मूर्ति हैं जिसमें महिला के आकर्षक शैली को प्रस्तुत किया गया हो । साल भंजिका या 'शालभंजिका' का शाब्दिक अर्थ है - 'साल वृक्ष की डाली को पकड़ी हुई'। सालभंजिका शब्द की उत्पत्ति पाली भाषा से हुई है, जिसका अर्थ होता है ‘साल वृक्ष की टहनी को तोड़ना या खींचना।’



सालभंजिका का बौद्ध धर्म से गहरा नाता है। इतिहासकारों के अनुसार कपिलवस्तु की महारानी और महाराज शुद्धोधन की जीवनसंगिनी व सिद्धार्थ गौतम की माता- महारानी महामाया ने इस मुद्रा में गौतम बुद्ध को एक साल वृक्ष के नीचे जन्म दिया था। इसे 'त्रिभंग मुद्रा' की महारानी भी कहा जाता है । अपने शरीर को तीन तरह से मोड़कर दुर्लभ अवस्था में खड़ी है। शरीर में इतने खिंचाव के बावजूद भी उनके चेहरे पर सुंदर भाव दिखाई देते हैं।
भारत के ह्रदय स्थल मध्यप्रदेश के ग्यारसपुर (सांची के निकट) पाई गई यह मूर्तियां 8वीं से 9वीं शताब्दी के बीच की है। वर्तमान में शालभंजिका को ग्वालियर के पुरातात्विक संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। इन्हें 'मदनिका' और 'शिलाबालिका' भी कहते हैं।